कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज (CDS) के जरिए सेना में उच्च पदों पर महिलाओं की कमिश्निंग के लिए हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने केंद्रीय रक्षा मंत्रालय को इस बाबत आठ सप्ताह में निर्णय लेने को कहा है। हाईकोर्ट में इसे लेकर एक याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मांग की गई कि महिलाओं को CDS परीक्षा के माध्यम से भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना में शामिल होने की अनुमति दी जानी चाहिए। दिल्ली हाईकोर्ट ने ये निर्देश दिया है।

वकील कुश कालरा ने इस संबंध में याचिका दाखिल की थी जिसका निपटान भी फैसले के साथ कर दिया गया। कुश कालरा ने 22 दिसंबर, 2023 को याचिका लगाई थी। जब कोर्ट ने इसका निपटान किया तो उन्होंने मांग की कि जब तक केंद्र सरकार इस पर फैसला नहीं ले लेती, तब तक याचिका को लंबित रखा जाए, लेकिन कोर्ट ने कहा, इसकी कोई जरूरत नहीं है। केंद्र सरकार को फैसला लेने दीजिए।

याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील ने कहा कि सेना में CDS के जरिए नियुक्ति में महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि रक्षा मंत्रालय को इस बारे में फैसला लेने का अधिकार है उन्हें समय दीजिए। CDS परीक्षाओं के जरिए भारत की तीनों सेनाओं- इंडियन आर्मी, नेवी और एयर फोर्स में अधिकारी के पद पर सीधे तैनौती मिलती है। CDS परीक्षा पास करने वाले उम्मीदवारों को कैडेट ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है।

इसके तहत लेवल 10 पर आधारित वजीफा के तौर पर ट्रेनिंग के दौरान ही 56 हजार 100 रुपये प्रति माह मिलते हैं। इस परीक्षा में महिलाएं भी बैठ सकती हैं, लेकिन चयनित होने पर वे केवल अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी (ओटीए) में शामिल हो सकती हैं। वे सीधे सेना, नौसेना या वायु सेवा में नहीं जा सकती हैं। साल में यह परीक्षा दो बार होती है।

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